(3) संकर्णजल्पक (शलाकाग्राहक के कान में चुपके से कहना)-सदस्य इन तीनों में से कोई भी एक प्रक्रिया अपनाने के लिए स्वतंत्र थे।
2.
डॉक्टर साहब, इस नाते आपका लेख सफल है, क्यों की मन के किसी कोने से तो आप भी चाहते थे कि पाठक पेहचान ही जायेंगे वो सब, जो आप घुमा फिरा कर चुपके से कहना चाहते थे.